जन्मदिन, शादी की वर्षगाठ, अपने प्रियजनों की याद,   धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है


जागरण

जागरण से आपके जीवन में एक ऐसा रस आ जाएगा कि आपका जीवन आनंद , प्रेम और उत्साह से भर जाएगा और आपको जीवन में किसी चीज की कमी महसूस नहीं होंगी। और आपकी कुण्डलिनी ऊर्जा अपने आप ही ठीक हो जाएगी ।


रामायण पाठ

रामायण का पाठ करने से घर में आरोग्य बढ़ता है, बीमारियां कम होती हैं। जिस घर में देशी घी का दीपक जलाकर रामायण की प्रतिदिन आरती होती है उस घर में आरोग्य बढ़ता है, बीमारियां कम होती है।


सुन्दरकाण्ड

गोस्वामी तुलसीदास जी के अनुसार हनुमानजी को जल्द प्रसन्न करने के लिए सुंदरकांड का पाठ एक रामबाण उपाय है। इसका पाठ को करने वाले के जीवन में खुशि‍यों का संचार होने लगता है।


भजन संध्या

हिंदू धर्म में हर पूजा का काफी महत्व होता है, संध्या पूजा करने से घर में धन का कभी अभाव नहीं होता है, नियमित रूप से संध्या पूजा करने वाले की अकाल मृत्यु नहीं होती है.



भक्ति संगीत

जिस तरह हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक खाने की आवश्यकता पड़ती है ठीक उसी तरह हमारी आत्मा को स्वस्थ और सकारात्मक रखने के लिए संगीत की आवश्यकता पड़ती है।



भगवत गीता

गीता के नियमित पाठ से हमारा मन शान्त रहता है। हमारे अंदर के सारे नकारात्मक प्रभाव नष्ट होने लगते हैं। सभी प्रकार की बुराइयों से दूरी खुद-ब-खुद बनने लगती है



माता की चौकी

इससे आपकी चेतना जागृति में सहायता मिलती है और आपको मानसिक शांति मिलती है। आपको सुख-समृद्धि प्राप्त होता है।



संगीतमय सुन्दरकाण्ड

सुंदरकांड करने वाले व्यक्ति के अंदर सकारात्मक और विचारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है। वह व्यक्ति किसी भी कार्य में अपनी रुचि दिखाता है तो उसमें सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।

सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ


सुंदरकाण्ड का पाठ सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है। किसी भी प्रकार की परेशानी या संकट हो, सुंदरकाण्ड के पाठ से यह संकट तुरंत ही दूर हो जाता है।

रामायण पाठ


पुराणों में कहा गया है के रामायण पढ़ने से मनुष्य के अंदर या मनुष्य के घर की सभी दलिद्रता दूर हो जाती है और अगर कोई रामायण का नियमित पाठ करता है तो उसके घर में माँ लक्ष्मी का वास होता है।


 

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संगीतमय सुंदरकांड

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रामायण पाठ, भजन संध्या

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सुन्दरकाण्ड

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जागरण

उमा कहऊँ मैं अनुभव अपना, सत हरि भजन जगत सब सपना

केवल हरि का निरंतर स्मरण ही एक मात्र सत्य है बाकी इस जगत में सभी कुछ केवल स्वप्न के समान है |


जैसे अर्ध निद्रा की अवस्था में जब आप कोई स्वप्न देखते हैं तो, स्वप्न की स्थिति के अनुसार आप सुख या दुःख की अनुभूति करते हैं, किन्तु जैसे ही आप जाग्रत अवस्था में आते है तो वह सभी सुख और दुःख की अनुभूति समाप्त हो जाती है | ठीक इसी प्रकार जब आप भगवान के नाम जाप के महत्व को समझ जाते हैं तो आप इस स्वप्न के संसार की वास्तविकता को समझ जाते हैं और आपका हृदय एक ऐसे आनंद की अनुभूति की और अग्रसर होता है जिसका कभी अंत नहीं हो सकता | ऐसा नहीं है की इस जगत के क्षणिक होने के आभास, हमें अपने जीवन में नहीं होता है लेकिन हम वास्तविकता की और अपना ध्यान केन्द्रित ही नहीं करते हैं!

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